इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने योगी आदित्यनाथ सरकार के अधिकारियों, DGP को बुलडोजर कार्रवाई में तलब किया है। जस्टिस सलिल कुमार राय की बेंच ने उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) प्रशांत कुमार और सहारनपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) को बुलडोजर कार्रवाई के मामले में 27 दिसंबर, 2024 को अदालत में पेश होने का आदेश दिया है। कोर्ट का साफ कहना है कि बुलडोजर कार्रवाई में सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का पालन नहीं किया गया।
यह मामला सहारनपुर में एक बुलडोजर कार्रवाई से जुड़ा है, जिसमें किसी संपत्ति को ध्वस्त किया गया था। आरोप है कि यह कार्रवाई कानून और प्रक्रिया का पालन किए बिना की गई थी। अदालत ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और इसे कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन माना है।
हाईकोर्ट की कार्रवाई के मुख्य बिंदु:
- कानूनी प्रक्रिया का पालन: अदालत ने इस बात पर जोर दिया है कि किसी भी बुलडोजर कार्रवाई से पहले उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ है, तो यह नागरिक अधिकारों का उल्लंघन है।
- डीजीपी और एसएसपी की जवाबदेही: कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि अगर इस तरह की कार्रवाई अधिकारियों की ओर से बिना कानूनी आधार के की जाती है, तो उनकी व्यक्तिगत जवाबदेही तय की जाएगी।
- सुनवाई की तारीख: अदालत ने डीजीपी और एसएसपी को 27 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है।
यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार की बुलडोजर कार्रवाई को अक्सर राजनीतिक एजेंडा और कानून-व्यवस्था से जोड़कर देखा जाता है। अदालत के इस कदम से यह स्पष्ट होता है कि किसी भी सरकारी कार्रवाई को कानून के दायरे में रहकर किया जाना चाहिए।
यह देखना दिलचस्प होगा कि 27 दिसंबर को अदालत में सरकार के अधिकारी इस मामले पर क्या सफाई देते हैं और अदालत इस पर क्या फैसला सुनाती है।
