मध्य प्रदेश सरकार ने सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना बनाई है, जिसके तहत 2030 तक कुल बिजली खपत का 50 प्रतिशत हिस्सा सौर, पवन और जल विद्युत से पूरा करने का लक्ष्य है। इस दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए सरकार अब पांच मेगावाट तक के सोलर पावर प्लांट लगाने वालों से बिजली खरीदेगी और परियोजना लागत पर 30 प्रतिशत अनुदान भी प्रदान करेगी। इस प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में गुरुवार को होने वाली कैबिनेट बैठक में लिया जाएगा।
मध्य प्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा का बढ़ता योगदान
मध्य प्रदेश ने नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। वर्ष 2012 में जहां प्रदेश की नवकरणीय ऊर्जा क्षमता केवल 500 मेगावाट थी, वहीं वर्तमान में यह बढ़कर 7,000 मेगावाट हो गई है, जो राज्य की कुल ऊर्जा क्षमता का 21 प्रतिशत है। रीवा सौर ऊर्जा परियोजना के माध्यम से दिल्ली मेट्रो को बिजली आपूर्ति की जा रही है, जबकि अप्रैल 2024 से भारतीय रेलवे को प्रतिदिन 195 मेगावाट बिजली दी जा रही है, जिसका उपयोग गोवा, झारखंड, महाराष्ट्र, दिल्ली, बिहार, उत्तर प्रदेश और ओडिशा में ट्रेनों के संचालन में किया जा रहा है। दिन में उत्पादित सौर ऊर्जा के अधिकतम उपयोग के लिए सरकार लगातार प्रभावी कदम उठा रही है।
सौर ऊर्जा को प्रोत्साहन के लिए मध्य प्रदेश सरकार की नई पहल
मध्य प्रदेश सरकार सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए नए कदम उठा रही है। औद्योगिक इकाइयों को दिन में अधिक बिजली खपत के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जबकि एक अप्रैल 2025 से घरेलू उपभोक्ताओं को दिन में विद्युत खपत पर 20 प्रतिशत ऊर्जा प्रभार की छूट दी जाएगी। इसके अलावा, कुसुम सी योजना के तहत पांच मेगावाट तक के सौर ऊर्जा संयंत्रों से उत्पादित बिजली सरकार खरीदेगी और परियोजना लागत पर 30 प्रतिशत तक अनुदान प्रदान करेगी। साथ ही, पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना का शिलान्यास पूरा होने के बाद इसे प्रशासकीय स्वीकृति के लिए कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
