भोपाल में स्थित यूनियन कार्बाइड कंपनी के परिसर से 337 टन जहरीला कचरा 12 से अधिक कंटेनरों में भरकर पीथमपुर पहुंचने की खबर ने हलचल मचा दी है। इस कचरे को हर दिन दो टन जलाने की योजना बनाई गई है, जिसके लिए कंपनी ने भस्मक उपकरण तैयार कर लिया है। हालांकि, कचरा जलाने से हवा में प्रदूषण फैलने का खतरा है, और यह प्रक्रिया कई महीनों तक जारी रह सकती है, जो प्रशासन और पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है। कचरे को भोपाल से हटाकर पीथमपुर लाने का कार्य पिछले 15 वर्षों से चल रहा है।
पीथमपुर में कचरा जलाने का मुद्दा
सन 2010 में भोपाल से पीथमपुर में जहरीले कचरे को लाकर जलाने का मामला सामने आया था, जिससे चर्चा तेज़ हो गई थी। तत्कालीन केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश खुद पीथमपुर स्थित रामकी कंपनी का दौरा करने पहुंचे थे, लेकिन उस समय यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। अब एक बार फिर कचरे को जलाने की प्रक्रिया शुरू होने से यह विवाद फिर से तूल पकड़ने लगा है। यह स्थिति प्रशासन के लिए चुनौतीपूर्ण बन सकती है, खासकर कचरे के जलने से होने वाले प्रदूषण और पर्यावरणीय खतरों को लेकर।
पीथमपुर में कचरे के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन
पीथमपुर में जहरीले कचरे को जलाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज़ हो गया। लोगों ने प्रमुख मार्गों से रैली निकालते हुए आयशर ब्रिज तक पहुंचकर सड़क पर बैठकर विरोध किया और भाषणबाजी की। पुलिस बल ने समझाइश देकर उन्हें हटाया, लेकिन विरोध जारी रहा। सीएसपी विवेक गुप्ता को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें नपाध्यक्ष सेवंती सुरेश पटेल, बीजेपी पार्षद अशोक पटेल, पार्षद प्रतिनिधि विजय रघुवंशी, एडवोकेट राजेश चौधरी, पूर्व पार्षद हेमंत पटेल, डॉ. हेमंत हीरोले, सलीम शेख, विपुल पटेल और बड़ी संख्या में रहवासी और छात्र-छात्राएं शामिल हुए। इस विरोध के बीच यह चर्चा भी जोरों पर थी कि रविवार रात को भोपाल से कचरा पीथमपुर लाया जा रहा है।
( केके सिंह, मध्य प्रदेश ब्यूरो)
