ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ब्रह्मोस मिसाइलों ने 11 एयरबेस में जो तबाही मचाई थी, पाकिस्तान अभी भी उससे उबर नहीं पाया है। पाकिस्तान के ज्यादातर एयरबेस अभी भी सर्विस से बाहर हैं। लेकिन ब्रह्मोस के हमले से पाकिस्तान को भारत की शक्ति और क्षमता का अंदाजा हो गया है। इसीलिए पाकिस्तान के अखबारों में अब भारतीय मिसाइलों को लेकर खौफ देखा जा रहा है। पाकिस्तान के डॉन में एक के बाद एक कई लेख लिखे जा रहे हैं, जिसमें दुनिया को भारत की मिसाइल क्षमता से आगाह करने की कोशिश की जा रही है। डॉन ने पिछले हफ्ते भारत के बंकर बस्टर बम को लेकर गहरी चिंता जताई थी और उसे पाकिस्तान के लिए बहुत बड़ा खतरा बताया था। और अब डॉन की रिपोर्ट में इस्लामाबाद स्थित नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी के विजिटिंग फैकल्टी डॉ. अकील अख्तर ने लिखा है, कि भारत की समुद्री मिसाइल क्षमता पाकिस्तान के लिए बड़ा खतरा है। डॉ. अकील अख्तर ने लिखा गया है कि भारत, जिस तरह से हिंद महासागर, प्रशांत महासागर और अरब सागर में आक्रामकता के साथ अपनी नौसेना निर्माण और मिसाइल शक्ति को बढ़ा रहा है, वो उसकी जरूरत से काफी ज्यादा है।
डॉ. अकील अख्तर ने लिखा है कि “भारत के नेतृत्व में हिंद महासागर के परमाणुकरण ने रणनीतिक विषमताओं को बढ़ा दिया है, सैन्य प्रतिस्पर्धा को काफी तेज कर दिया है और क्षेत्र में रणनीतिक स्थिरता को तनावपूर्ण बना दिया है। डॉन की रिपोर्ट में भारत की परमाणु पनडुब्बियों, परमाणु ऊर्जा से चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों (SSBN) और परमाणु ऊर्जा चालित हमलावर पनडुब्बियों (SSN) को पाकिस्तान के लिए बहुत बड़ा खतरा बताया गया है। डॉन ने लिखा है कि “भारत की शक्तिशाली समुद्र-आधारित न्यूक्लियर डेटरेंड डेवलपमेंट प्रोग्राम उसकी रणनीति, रक्षात्मक से आक्रामक समुद्री रुख में एक बड़े बदलाव का प्रतीक है।
INS और INS अरिघात से घबराया पाकिस्तान: क्यों बढ़ी टेंशन इस न्यूक्लियर जोड़ी से?
डॉ. अकील अख्तर ने आरोप लगाया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आक्रामक समुद्री रणनीति अपना रही है और हिंद महासागर में अपनी ताकत को ‘हथियारबंद’ कर रही है। डॉन की रिपोर्ट में पाकिस्तान के लिए ‘विनाशक डर’ को उजागर करते हुए लिखा गया है कि भारत का यह कदम न सिर्फ क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को बिगाड़ रहा है, बल्कि पूरे वैश्विक रणनीतिक संतुलन को भी चुनौती दे रहा है। दरअसल, भारत का SSBN (न्यूक्लियर बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन) कार्यक्रम अब अपने परिपक्व चरण में पहुंच चुका है और पाकिस्तान के डर की सबसे बड़ी वजह यही है। भारत के सामने पाकिस्तान तो कहीं ठहरता ही नहीं, साथ ही साथ उसके दोस्त चीन को भी भारत किसी भी वक्त करारा जवाब देने की स्थिति में पहुंच गया है। भारत की समुद्री मिसाइल क्षमता इस स्तर पर गंभीर हो चुकी है कि युद्ध की स्थिति में अगर चीन भारत में तबाही फैला सकता है तो चीन को भी भारत पूरी तरह से तबाह कर सकता है।
डॉन की इस रिपोर्ट में भारत के INS अरिहंत और INS अरिघात जैसी पनडुब्बियों का भयानक खौफ देखा गया है। डॉन ने लिखा है कि इन दोनों पनडुब्बियों के जरिए भारत ने अपनी परमाणु त्रयी (nuclear triad) को नेक्स्ट लेवल पर मजबूत कर दिया है। ये पनडुब्बियां K-15 (750 किमी रेंज) और K-4 (3500 किमी रेंज) जैसी मिसाइलें ले जाने में सक्षम हैं। भारत भविष्य में K-5 (6000 किमी) और K-6 (8000 किमी) जैसी लंबी दूरी की पनडुब्बी से लॉन्च होने वाली बैलिस्टिक मिसाइलें (SLBMs) भी तैनात करने की योजना बना रहा है।

Agni-V, Agni-VI और SSBN: क्यों कांप उठा पाकिस्तान भारत की परमाणु त्रयी से?
डॉ. अकील अख्तर ने लिखा है कि पाकिस्तान को सबसे ज्यादा परेशानी इस बात से है कि भारत की ये क्षमताएं अब सिर्फ चीन या पाकिस्तान तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर पहुंच बना रही हैं। डॉन के लेख में इस बात पर भी चिंता जताई गई है कि “भारत के पास अब 400 से ज्यादा परमाणु वारहेड रखने की क्षमता है, जिनमें से 100 से ज्यादा न्यूक्लियर बैलिस्टिक मिसाइल SSBN पर तैनात किए जा सकते हैं। इस क्षमता के साथ दुनिया की कोई भी शक्ति, चाहे वो अमेरिका हो या चीन, भारत से लड़ने की जुर्रत नहीं कर सकता है। भारत कहीं भी, कभी भी ऐसी तबाही मचा सकता है, जो दुश्मनों की सोच से भी ज्यादा होगी। ऐसे में डॉन की रिपोर्ट में आरोप लगाते हुए लिखा गया है कि “भारत अपनी घोषित न्यूनतम प्रतिरोधक नीति (CMD) से भटक रहा है और आक्रामक शक्ति प्रदर्शन कर रहा है। खासकर MIRV (Multiple Independently Targetable Reentry Vehicle) क्षमता वाले हथियार भारत को “तत्काल हमले में सक्षम” बना सकते हैं, जिससे रणनीतिक स्थिरता खतरे में पड़ सकती है।

रिपोर्ट में कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस की वरिष्ठ फेलो एशले जे. टेलिस के उस लेख का हवाला दिया गया है, जिसमें उन्होंने प्रतिष्ठित फॉरेन अफेयर्स पत्रिका में भारत की समुद्री शक्ति पर एक लेख लिखा है। उस लेख में उन्होंने इस बात पर जोर दिया है, कि कैसे नई दिल्ली का लक्ष्य न सिर्फ चीन, बल्कि संयुक्त राज्य अमेरिका सहित किसी भी अन्य देश को नियंत्रित करना है जो प्रभुत्व बनाने की आकांक्षा रखता है। इसमें लिखा गया है कि ‘भारत उस पुरानी धारणा को अपना रहा है, जिसके मुताबिक देशों के मित्र नहीं, सिर्फ हित होते हैं।’ रिपोर्ट में भारत की सेकंड स्ट्राइक कैपिबिलिटी यानि SSBN क्षमता पर सवाल उठाया गया है, जिसके तहत भारत का डॉक्ट्रिन ये है कि अगर कोई देश भारत पर परमाणु बम गिराता है तो भारत तत्काल उस देश पर परमाणु बम गिरा देगा। वो देश किसी भी सूरत में बच नहीं सकता है। भारत की इन क्षमताओं से घबराकर डॉन की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान ने यूनाइटेड नेशंस, यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल और पश्चिमी देशों से शिकायत की है, कि वे भारत की अंतरमहाद्वीपीय क्षमताओं (जैसे Agni-V और Agni-VI मिसाइल) को रोकने की कोशिश करे।
