नई दिल्ली, 11 अगस्त — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सुबह लगभग 10 बजे बाबा खड़क सिंह मार्ग, नई दिल्ली स्थित संसद सदस्यों के लिए बनाए गए अत्याधुनिक और पर्यावरण-अनुकूल 184 टाइप-VII बहुमंजिला फ्लैटों का उद्घाटन करेंगे। इस विशेष अवसर पर प्रधानमंत्री अपने आवास परिसर में सिंदूर का एक पौधा भी लगाएंगे और श्रमजीवियों को संबोधित करेंगे। वे उपस्थित जनसमूह से बातचीत भी करेंगे।
सांसदों के लिए आधुनिक, आत्मनिर्भर और हरित आवास सुविधा
नई परियोजना सांसदों की कार्यात्मक और आवासीय जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है। इसे आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा के अनुरूप डिजाइन किया गया है और यह आधुनिक सुविधाओं से पूरी तरह सुसज्जित है।
परियोजना ने जीआरआईएचए (GRIHA) 3-स्टार रेटिंग के मानकों का पालन किया है और यह राष्ट्रीय भवन संहिता (NBC) 2016 के नियमों के अनुरूप बनाई गई है। इसका उद्देश्य सांसदों को टिकाऊ और सुरक्षित वातावरण में कार्य और आवास दोनों की सुविधा देना है।
पर्यावरण अनुकूल तकनीक और सुरक्षा पर विशेष ध्यान
इन बहुमंजिला फ्लैटों के निर्माण में हरित तकनीक का व्यापक उपयोग किया गया है, जिससे:
- ऊर्जा की बचत होगी,
- नवीकरणीय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी) का उत्पादन संभव होगा,
- और कचरे का वैज्ञानिक ढंग से प्रबंधन किया जाएगा।
ये भवन भूकंप-रोधी (earthquake-resistant) हैं और इनकी सुरक्षा प्रणाली भी अत्याधुनिक है, जिससे सांसदों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
दिव्यांगजनों के लिए पूरी तरह अनुकूल
परिसर को पूरी तरह से दिव्यांगजनों के लिए अनुकूल बनाया गया है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि किसी भी व्यक्ति को आवागमन में कोई असुविधा न हो, चाहे वह सांसद हो या कोई आगंतुक।
सुविधाएं और संरचना
- प्रत्येक फ्लैट लगभग 5,000 वर्ग फुट क्षेत्रफल में फैला है।
- फ्लैट्स में रहने के साथ-साथ कार्य की भी पर्याप्त व्यवस्था की गई है।
- परिसर में सांसदों के स्टाफ के लिए आवास, कार्यालय और एक कम्युनिटी सेंटर भी उपलब्ध है।
- परियोजना का उद्देश्य कम भूमि में अधिक उपयोगिता प्राप्त करना था, इसलिए बहुमंजिला निर्माण किया गया है, जिससे रखरखाव खर्च भी कम रहेगा।
पृष्ठभूमि
यह परियोजना सांसदों के लिए उपयुक्त और आधुनिक आवास की कमी को दूर करने के लिए शुरू की गई थी। पहले मौजूद आवास व्यवस्था सांसदों की जरूरतों को पूरा करने में अक्षम थी, जिसके कारण इस परियोजना की आवश्यकता महसूस की गई।
निष्कर्ष:
यह नई पहल सांसदों को न केवल एक आधुनिक और सुरक्षित आवास सुविधा प्रदान करेगी, बल्कि आत्मनिर्भर भारत, हरित भवन निर्माण और टिकाऊ विकास की दिशा में एक बड़ा कदम भी सिद्ध होगी।
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