भारत ने बुधवार, 20 अगस्त 2025 को बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित अब्दुल कलाम द्वीप से अपनी सबसे ताकतवर बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि पांच का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। यह मिसाइल 29,401 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दुश्मन के लक्ष्य को सटीक निशाना लगाने में सक्षम है और कई लक्ष्यों को एक साथ भेद सकती है। इस मिसाइल परीक्षण से भारत की रक्षा क्षमताओं में एक नई क्रांति आई है।
अग्नि पांच: भारत का ब्रह्मास्त्र
अग्नि पांच, जिसे भारत का ब्रह्मास्त्र भी कहा जाता है, मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटटेबल रीएंट्री व्हीकल (MIRV) तकनीक से लैस है। यह मिसाइल एक साथ कई सौ किलोमीटर दूर अलग-अलग ठिकानों पर हमला कर सकती है, जो इसे बेहद खतरनाक बनाता है।
यह मिसाइल एशिया, चीन के अंतिम उत्तरी क्षेत्र और यूरोप के कुछ हिस्सों तक मारक क्षमता रखती है। इसकी रफ्तार 29,401 किलोमीटर प्रति घंटे है, जो इसे दुनिया की सबसे तेज और शक्तिशाली मिसाइलों में शामिल करता है।
दिव्यास्त्र कार्यक्रम के तहत दूसरा परीक्षण
इस वर्ष अग्नि पांच का यह दूसरा परीक्षण है। पहला सफल परीक्षण 11 मार्च 2025 को ही हुआ था। दिव्यास्त्र कार्यक्रम के तहत यह परीक्षण अग्नि पांच की मारक क्षमता और तकनीकी दक्षता को परखने के लिए किया गया।
भारत विश्व के महाशक्तियों की कतार में
इस तकनीक वाली मिसाइलें अभी रूस, चीन, अमेरिका, फ्रांस और यूके के पास ही हैं। अब भारत का नाम भी इस प्रगति के साथ इस सूची में जुड़ चुका है। अग्नि पांच को जमीन, समुद्र या पनडुब्बी से लॉन्च किया जा सकता है।
भारत के मिसाइल स्ट्राइक फ़ोर्स की ताकत
भारत के पास पहले से अग्नि एक, दो, तीन और चार मिसाइलें हैं, जिनकी मारक क्षमता क्रमशः 700 से लेकर 3500-4000 किलोमीटर तक है। अग्नि पांच सबसे लंबी दूरी और सबसे शक्तिशाली मिसाइल है, जो खासकर चीन जैसी बड़ी चुनौती का सामना करने में भारत की मदद करेगी।
स्वदेशी तकनीक से मजबूती
अग्नि पांच सहित सभी मिसाइलें स्वदेशी तकनीक से विकसित और निर्मित हैं। भारत किसी अन्य देश के तकनीक या ज्ञान पर निर्भर नहीं है। यह देश की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
सुरक्षा में भारत का समर्पण
भारत अपनी मिसाइल परीक्षण प्रक्रिया को गुप्त रखता है और इनके प्रशिक्षण का समय पूर्व घोषणा नहीं करता। यह सुरक्षा की दृष्टि से आवश्यक है और देश की सामरिक ताकत को बढ़ावा देता है।
भारत ने 2007 में अग्नि पांच मिसाइल विकसित करने का ऐलान किया था और 2012 में इसका पहला सफल परीक्षण किया गया था। अब बालेश्वर से हुए इस तीसरे सफल परीक्षण के साथ भारत विश्व के मिसाइल तकनीक के क्षेत्र में अपनी साख को और मजबूत करता दिख रहा है।
यह मिसाइल परीक्षण भारत की सुरक्षा और क्षेत्रीय प्रभुत्व के लिए एक मजबूत आधार साबित होगा।
