भारत की पहली मारुति इलेक्ट्रिक कार का आगाज़।
अहमदाबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में मंगलवार को देश की एक बड़ी उपलब्धि की घोषणा करते हुए कहा कि अब दुनिया के दर्जनों देशों में भारत निर्मित इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) दौड़ेंगे, जिन पर “मेड इन इंडिया” लिखा होगा। उन्होंने इसे भारत की ‘मेक इन इंडिया’ यात्रा का नया अध्याय बताया और कहा कि यह ‘मेक फॉर वर्ल्ड’ के लक्ष्य की दिशा में एक बड़ी छलांग है।
100 देशों को होंगे एक्सपोर्ट
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “आज से भारत में बनी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स 100 देशों को एक्सपोर्ट की जाएंगी। साथ ही, आज हाइब्रिड बैटरी इलेक्ट्रोल मैन्युफैक्चरिंग की भी शुरुआत हो रही है। यह दिन भारत और जापान की दोस्ती को एक नया आयाम दे रहा है। मैं सभी देशवासियों, जापान और सुज़ुकी कंपनी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।”
भारत पर दुनिया की नजर
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि आज पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है। ऐसे में देश का हर राज्य इस अवसर का लाभ उठाए। उन्होंने राज्यों से आग्रह किया कि वे आपस में रिफॉर्म्स की स्पर्धा करें और प्रो-डेवलपमेंट नीतियों के जरिए निवेशकों को आकर्षित करें।
‘मेक इन इंडिया’ से ‘मेक फॉर वर्ल्ड’ तक
मोदी ने कहा कि भारत केवल घरेलू जरूरतों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वैश्विक बाजारों के लिए भी उत्पादन करेगा। “मेक इन इंडिया अब ‘मेक फॉर वर्ल्ड’ की दिशा में आगे बढ़ रहा है। आने वाले समय में भारत वैश्विक ऑटोमोबाइल सेक्टर में अहम भूमिका निभाएगा।”
भारत-जापान सहयोग पर जोर
प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से भारत और जापान के रिश्तों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि सुज़ुकी जैसी कंपनियों का भारत में निवेश और उत्पादन केवल औद्योगिक विकास का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह दोनों देशों की मजबूत साझेदारी का भी प्रतीक है।
निवेशकों को दिया निमंत्रण
पीएम मोदी ने कहा कि भारत का हर राज्य अब निवेशकों के लिए गंतव्य होना चाहिए। उन्होंने कहा, “विदेशी निवेशक जब भारत आएं तो उन्हें इतना कन्फ्यूजन होना चाहिए कि वे सोचें—मैं इस राज्य में जाऊं या उस राज्य में। यही भारत के विकास की असली स्पर्धा होगी।”
उत्सव के बीच विकास का संदेश
गणेशोत्सव के उल्लास के बीच प्रधानमंत्री की यह घोषणा विकास और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा संदेश मानी जा रही है। भारत में निर्मित EV का 100 देशों तक निर्यात केवल औद्योगिक सफलता ही नहीं, बल्कि भारत की तकनीकी क्षमता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में उसकी बढ़ती ताकत का प्रमाण भी है।
