पटना से अचानक दिल्ली रवाना हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दौरे ने एनडीए खेमे में सियासी चर्चाओं को तेज कर दिया है। उनके साथ जदयू के शीर्ष नेता जैसे ललन सिंह और संजय झा भी मौजूद हैं, जिससे इस दौरे की राजनीतिक अहमियत और बढ़ जाती है। हालांकि जदयू खेमे से औपचारिक जानकारी नहीं मिल रही, लेकिन राजनीतिक गलियारों में नीतीश कुमार की भाजपा शीर्ष नेताओं से बैठक को लेकर चर्चा जोरों पर है।
दिल्ली में नीतीश कुमार की मुलाकात राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के अन्य बड़े नेताओं से होने की संभावना है। आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव की रणनीति और सीट बंटवारे पर महत्वपूर्ण चर्चा की आशंका जताई जा रही है। कई सूत्रों का कहना है कि सीट शेयरिंग के लिए अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है, क्योंकि गठबंधन में शामिल पार्टियों की ‘जीताऊ’ सीटों की मांगों को लेकर पेचीदगियां बनी हुई हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, इस दौरे की आड़ में नीतीश कुमार एनडीए सहयोगियों के साथ मिलकर आगामी चुनाव के लिए रणनीतिक योजना बना रहे हैं। पटना में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से नीतीश कुमार की बैठक भी इसी कड़ी में देखी जा रही है। भाजपा-जदयू के बीच लगभग 105-106 सीटों के बंटवारे की चर्चा है, जबकि शेष सीटों को चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी की पार्टियों में बांटे जाने की संभावना है, लेकिन कई सीटों पर दावेदारी की टकराहट जारी है।
सियासी पारा इस बात को लेकर भी चढ़ा है कि जब भी नीतीश कुमार दिल्ली जाते हैं, तो भाजपा के मुख्यमंत्री पसंद के मामले में अमित शाह और जेपी नड्डा से मुलाकात को लेकर कयास लगते हैं। इस बार भी ये चर्चाएं तेज हैं क्योंकि चुनाव नजदीक हैं और गठबंधन में सीट बंटवारे का फार्मूला अंतिम दौर में है।
बागी नेताओं की एनडीए में एंट्री और सीटों की मांगों ने गठबंधन की गणित को जटिल बना दिया है। बिहार में अक्टूबर-नवंबर में चुनाव होने वाले हैं और राजनीतिक दल गठबंधन को मजबूत बनाकर मुकाबले की तैयारी में लगे हैं, ताकि एनडीए की सफलता सुनिश्चित की जा सके।
