will answer 4 with 24, owaisi takes a dig at nda in bihar elections
असदुद्दीन ओवैसी ने सीमांचल Nyay Yatra से बिहार चुनावों में दिया जोरदार दस्तक, मुस्लिम वोटरों को एकजुट करने का बनाया लक्ष्य :
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजर AIMIM प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सीमांचल के कई इलाकों में चुनावी सरगर्मी तेज कर दी है। हाल ही में एक जनसभा में ओवैसी ने कड़े शब्दों में एनडीए और उसकी नीतियों की आलोचना की, जिसमें उन्होंने कहा, “चार का जवाब 24 से दिया जाएगा।” यह वाक्यांश उनके आत्मविश्वास और राजनीतिक ताकत का प्रदर्शन माना जा रहा है।
ओवैसी ने बिहार में लागू वक्फ संशोधन कानून को लेकर सरकार पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि इस कानून के माध्यम से मुसलमानों के धार्मिक स्थलों – मस्जिदों, दरगाहों, कब्रिस्तानों की जमीनें छीनने की कोशिश की जा रही है, जिसे उन्होंने काला कानून बताया। उनका आरोप था कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चिराग पासवान एवं कुशवाहा जैसे नेताओं का गठजोड़ मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के विरुद्ध है और वे उनकी जमीनें छीनने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

ओवैसी ने अपने समर्थकों से अपील की कि वे इस चुनाव में सक्रिय योगदान दें और मतदान में अपनी ताकत दिखाएं। उन्होंने कहा कि सीमांचल क्षेत्र के मुस्लिम मतदाता ही इस चुनाव के निर्णायक होंगे और 24 अक्टूबर के चुनाव में उनकी भागीदारी से बड़ा बदलाव संभव है। वे अपने भाषणों में लगातार मुस्लिम समुदाय की एकता और उनके अधिकारों की रक्षा पर जोर देते आ रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ओवैसी की इस बयानबाजी से बिहार के चुनावी माहौल में चुनौती बढ़ गई है, खासकर मुसलमानों के वोट को लेकर। मुख्यधारा की पार्टियां इस क्षेत्र में उनका खड़ा होना गंभीरता से ले रही हैं। ओवैसी की पार्टी AIMIM सीमांचल में प्रत्याशियों को उतारकर भाजपा और अन्य पार्टियों को टक्कर देने की योजना में तेजी ला रही है।
यह पहली बार नहीं है जब ओवैसी ने बिहार चुनाव में एनडीए की नीतियों के खिलाफ मजबूत रुख अपनाया हो। पिछले चुनावों से भी वे बिहार में अपनी उपस्थिति मजबूत कर रहे हैं और इस बार उन्होंने वक्फ कानून को खास मुद्दा बनाकर चुनाव प्रचार तेज किया है। उनका यह संदेश है कि इलाके के मुस्लिम मतदाता इस कानून का विरोध करेंगे और इस चुनाव में इसका असर भुगतने वाली सरकार को जवाब देना होगा।
ओवैसी के इस तेवर ने बिहार के राजनीतिक समीकरणों को और जटिल बना दिया है। सीमांचल के मुस्लिम समुदाय के प्रति उनकी अपील स्वयं को राजनीतिक तौर पर संगठित करने और अपने अधिकारों के लिए आंदोलन तेज करने की है। आगामी चुनाव में उनका यह संघर्ष स्पष्ट संकेत देता है कि वे बिहार के राजनीतिक परिदृश्य पर एक बड़ा प्रभाव छोड़ना चाहते हैं।
असदुद्दीन ओवैसी के ये बयानों और चुनावी अभियानों ने विपक्षी दलों को भी सक्रिय कर दिया है, जिससे बिहार में आने वाले विधानसभा चुनाव और भी प्रतिस्पर्धी और निर्णायक होते जा रहे हैं। इस चुनाव में “चार का जवाब 24 से” देने के उनके वादे ने बिहार राजनीति में उथल-पुथल मचा दी है और जनता की निगाहें अब इन घटनाक्रमों पर टिकी हैं।
