सीटों के बंटवारे पर अड़ा लोक जनशक्ति पार्टी, गठबंधन की राजनीति में उथल-पुथल जारीयहाँ बेहद सरल और स्पष्ट सब हेडिंग है:
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर गठबंधन में सीटों का बंटवारा सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है। इस बार लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान चर्चा में हैं। खबरों के अनुसार, चिराग पासवान की पार्टी ने भाजपा और एनडीए गठबंधन से 40 से ज्यादा सीटें मांगी हैं। यही वजह है कि बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है और सभी दल अपने पक्ष को मजबूत करने की कोशिश में हैं।
चिराग पासवान की मांग क्या है?
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने साफ कहा है कि उनकी पार्टी बिहार में 40 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। चिराग चाहते हैं कि उनकी पार्टी को गठबंधन में ज्यादा सम्मान मिले। उनका कहना है कि वे अपनी पार्टी की ताकत और जनाधार के हिसाब से सीटें चाहते हैं ताकि वे अपने लोगों का बेहतर प्रतिनिधित्व कर सकें।

भाजपा और गठबंधन में खींचतान
बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टी जेडीयू (जनता दल यूनाइटेड) ने आपस में लगभग बराबर-बराबर सीटें देने की बात कही है। लेकिन, चिराग पासवान की यह मांग है कि उन्हें और उनकी पार्टी को कम से कम 40 सीटें मिलनी चाहिए। इसी को लेकर दिल्ली और पटना में कई दौर की बैठकों का दौर चला है। भाजपा नेता धर्मेंद्र प्रधान भी चिराग पासवान से मिल चुके हैं और उन्हें मनाने की कोशिश कर रहे हैं।
गठबंधन की मुश्किलें
एनडीए गठबंधन में चिराग पासवान की मांग के बाद बातचीत में कई बार रुकावट आई है। बीजेपी और जेडीयू के नेता सीटों की फॉर्मूला पर चर्चा कर रहे हैं, लेकिन चिराग पासवान जहां चाहते हैं, उन इलाकों में सीटें मिलना और मुश्किल हो रहा है। अगर सही संख्या में और सही स्थान की सीटें नहीं मिलती हैं, तो चिराग पासवान अन्य विकल्पों पर भी विचार कर सकते हैं।
चुनावी रणनीति और आगे की राह
ऐसी भी चर्चा है कि अगर चिराग की मांग नहीं मानी गई, तो वे प्रशांत किशोर की पार्टी ‘जन सुराज’ के साथ मिलकर नया गठबंधन बना सकते हैं। हालांकि चिराग पासवान ने अभी अपने सभी विकल्प खुले रखे हैं। सभी की नजर यही है कि क्या बीजेपी, जेडीयू और चिराग की पार्टी साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे, या कोई नया समीकरण बनेगा।
बिहार विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर चिराग पासवान की यह मांग चुनावी राजनीति का बड़ा मुद्दा बन गई है। अगर यह सुलझ जाता है तो एनडीए गठबंधन की मजबूती बढ़ेगी, और अगर नहीं सुलझा तो नया समीकरण भी बन सकता है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि किस पार्टी को कितनी सीटें मिलती हैं और कौन किसके साथ चुनावी मैदान में उतरता है।
