सुप्रीम कोर्ट ने बिहार SIR पर चुनाव आयोग को मांगा विस्तृत डेटा, सुनवाई होगी गुरुवार :
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का चुनावी रण पहले ही गरमाया हुआ है, वहीं एक अहम मुद्दा बिहार के मतदाता सूची में किए जा रहे विशेष गहन संशोधन प्रक्रिया (Special Intensive Revision – SIR) का भी है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में जारी सुनवाई का अगला दौर गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025 को होना निश्चित हो गया है। इस सुनवाई को लेकर राजनीतिक दलों, सरकार और चुनाव आयोग के बीच चर्चा तेज हो गई है, क्योंकि इसका चुनाव की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
SIR प्रक्रिया क्या है?
SIR यानी विशेष गहन संशोधन प्रक्रिया, चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के सटीक और सही अपडेट के लिए किया जाने वाला विशेष अभियान है। इसमें मतदाता सूची से गलत नामों को हटाना, नए योग्य मतदाताओं को जोड़ना और अन्य अपडेट करना शामिल होता है। इस प्रक्रिया का लक्ष्य फर्जी वोटर या दुरुपयोग की संभावनाओं को कम करना है ताकि चुनाव निष्पक्ष तरीके से हो सके।

सुप्रीम कोर्ट में मामला
बिहार में इस प्रक्रिया को लेकर कुछ शिकायतें सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची हैं। आरोप है कि SIR प्रक्रिया के तहत कुछ मतदाओं के नाम बिना उचित जांच के हटा दिए गए या सूची से बाहर कर दिए गए हैं, जिससे उनकी वोटिंग का अधिकार प्रभावित हो सकता है। इस कारण विपक्षी दलों का कहना है कि यह प्रक्रिया चुनाव को प्रभावित कर सकती है और इससे उम्मीदवारों के भाग्य पर बड़ा असर पड़ सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए केंद्र और चुनाव आयोग से विस्तृत जवाब मांगा है। मंगलवार 7 अक्टूबर को हुई सुनवाई में कोर्ट ने साफ किया कि यदि चुनाव आयोग ने इस प्रक्रिया में कोई गलती की है या इसे ठीक तरीके से लागू नहीं किया है, तो पूरी SIR प्रक्रिया रद्द भी की जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि इस फैसला बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश के चुनावों पर प्रभाव डालेगा, क्योंकि यह एक राष्ट्रीय स्तर की प्रक्रिया है।
अगली सुनवाई और संभावित परिणाम
अगली सुनवाई गुरुवार, 9 अक्टूबर को होगी जिसमें सभी पक्षों के तर्क सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट सुझाव दे सकता है कि चुनाव आयोग को इस प्रक्रिया में सुधार करना चाहिए या फिर इस प्रक्रिया की वैधता पर फैसला देगा। कई राजनीतिक दल इस सुनवाई को बड़ा मोड़ मान रहे हैं क्योंकि इससे बिहार विधानसभा चुनाव के निष्पक्षता पर बड़ा संकेत मिलेगा।
चुनाव आयोग ने कहा है कि SIR प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ की गई है और किसी भी तरह के विवादित नामांकन या मतदाता हटा होने की बात गलत है। चुनाव आयोग ने कोर्ट को आश्वासन दिया है कि यदि कोई समस्या मिली तो उसे ठीक करने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे।
बिहार चुनाव पर प्रभाव
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कुल 243 सीटों पर मतदान होगा, जो दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को संपन्न होंगे, और नतीजे 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। SIR को लेकर विवाद का समाधान चुनाव से ठीक पहले होना जरूरी है ताकि वोटरों का विश्वास बना रहे और चुनाव प्रक्रिया सुचारू रूप से चले।
सुप्रीम कोर्ट की यह सुनवाई इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बिहार की जनता की राजनीतिक भागीदारी और मतदान लोकतंत्र की मजबूत नींव होती है। इस प्रक्रिया से जुड़े विवादों को समय रहते सुलझाना चुनाव के माहौल को सकारात्मक बनाए रखने के लिए जरूरी माना जा रहा है।
इस पूरे घटनाक्रम को देखते हुए यह स्पष्ट है कि बिहार SIR मामले की आगे की सुनवाई और कोर्ट के फैसले पर न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश की चुनावी राजनीति की नजरें टिकेंगी। गुरुवार की सुनवाई चुनाव आयोग की भूमिका, चुनाव की पारदर्शिता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की मजबूती के लिहाज से अहम साबित होगी।
इस मामले की पूरी जानकारी और विस्तार से रिपोर्टिंग चुनाव के बाकी मुद्दों के साथ स्थानीय और राष्ट्रीय मीडिया पर जारी रहेगी। भाजपा, जदयू, राजद सहित सभी प्रमुख राजनीतिक दल इस सुनवाई और उससे निकले फैसले पर अपना पूरा ध्यान लगाए हुए हैं ताकि वे अपनी चुनाव रणनीतियों को उसी हिसाब से ढाल सकें।
