केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पूर्व राजनीतिक पारा बढ़ाने वाला एक महत्वपूर्ण पोस्ट X (पूर्व में Twitter) पर साझा किया है, जिसमें उन्होंने 2010 के बिहार चुनाव में एनडीए के ऐतिहासिक प्रदर्शन को याद करते हुए ‘असली स्ट्राइक रेट’ की अवधारणा पर जोर दिया है। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा है कि 2010 के बिहार चुनाव में एनडीए ने 243 में से 206 सीटें जीतकर इतिहास रचा था। यह रिकॉर्ड आज भी बिहार की राजनीतिक विरासत में एक मिसाल के तौर पर कायम है।
गिरिराज सिंह ने अपने पोस्ट में विस्तार से बताया कि उस चुनाव में जदयू ने 141 में से 115 सीटें जीती थीं, जिसका स्ट्राइक रेट 81 प्रतिशत था, जबकि बीजेपी ने 102 सीटों में से 91 सीटें हासिल की थीं, जो कि 89 प्रतिशत की प्रभावशाली स्ट्राइक रेट दर्शाती है। यह दोनों राजनीतिक दलों का बेहतरीन प्रदर्शन था जिसने एनडीए के लिए एक शानदार जीत सुनिश्चित की थी। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि उस समय धर्मेंद्र प्रधान एनडीए के प्रभारी थे और वर्तमान में भी वही प्रभारी हैं।
केंद्रीय मंत्री का यह संदेश वर्तमान बिहार चुनाव की सियासी परिस्थितियों में गूंजता दिख रहा है, जहां एनडीए के अंदर सीट बंटवारे को लेकर आरोप-प्रत्यारोप और समीकरण पर चर्चा जारी है। गिरिराज सिंह ने इस पोस्ट के माध्यम से वर्तमान गठबंधन में चल रही फील गुड की राजनीति और दिखावे से हटकर काम करने की जमीनी जरूरत पर रुख स्पष्ट किया है। उन्होंने छुपे-छुपे चल रहे मतभेदों को भी राजनीतिक गलियारों में उजागर करते हुए कहा कि जब असली स्ट्राइक रेट की बात आती है तब 2010 के एनडीए के प्रदर्शन से बेहतर उदाहरण नहीं हो सकता।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि एनडीए का असली चेहरा वही है जो वर्षों से बिहार की राजनीति में स्थिर और मजबूत नेतृत्व प्रदान कर रहा है। उनके अनुसार लोग दिखावे वाली राजनीति नहीं, बल्कि ठोस और मजबूत उपलब्धियों को पहचानते हैं। इसलिए, वर्तमान समय में भी महाविकास आकांक्षा को मजबूत बनाए रखना जितना जरूरी है, उतनी ही जरूरी है कि गठबंधन के सभी सदस्य अपनी जिम्मेदारियों का सही निर्वाह करें।
गिरिराज सिंह का यह पोस्ट मुख्य रूप से चिराग पासवान को अप्रत्यक्ष रूप से निशाने पर लिए हुए है, जो बिहार के सीट बंटवारे को लेकर जोर-शोर से अपनी बात रख रहे हैं। सिंह का तर्क है कि 2010 का चुनाव मैदान वास्तविक चुनावी लड़ाई और रणनीतियों का खेल था, जहां एनडीए की जीत की नींव मजबूत थी। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि ऐसे समय में असली स्ट्राइक रेट ही चुनाव जीत की गारंटी होता है न कि केवल सीटों का अधिक होना।
इस बयान ने बिहार की राजनीतिक हलचल को और तेज कर दिया है और चुनाव से पहले गठबंधन के समीकरणों पर व्यापक बहस छिड़ गई है। राजनीतिक विश्लेषकों की नज़रें गिरिराज सिंह के इस बयान और आगामी चुनावी रणनीतियों की ओर कहीं टिकी हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस पोस्ट का एनडीए के आंतरिक समीकरणों और बिहार विधानसभा चुनाव 2025 पर क्या प्रभाव पड़ता है।
इस प्रकार, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का यह पोस्ट बिहार चुनाव की सियासी कड़वाहट और गठबंधन के तनावपूर्ण माहौल में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक बयान के रूप में उभरा है। उन्होंने जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं को याद दिलाया है कि चुनाव में सफलता का माप ‘स्ट्राइक रेट’ होता है, जो ठोस जीत और टिकाऊ गठबंधन से ही संभव है। इस संदर्भ में उनका 2010 का उदाहरण बिहार की राजनीति में एक प्रेरणा स्रोत के रूप में काम करता रहेगा।
यह बयान बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दृष्टिकोण से एनडीए के चुनावी अभियान में रणनीतिक बदलाव एवं गठबंधन के बीच संतुलन बनाए रखने के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। बिहार की राजनीतिक पटल पर इसके परिणाम आने वाले समय में स्पष्ट होंगे।
