बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासत और भी गरमाई है क्योंकि दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव समेत कुल सात आरोपियों पर एक बड़ा फैसला सुनाया है। आईआरसीटीसी घोटाले के मामले में कोर्ट ने भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के आरोप तय किए हैं। यह मामला रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (IRCTC) की जमीन और होटलों के पट्टे से जुड़ा है, जिसमें आरोप हैं कि लालू यादव ने मंत्री रहते हुए निजी कंपनी सुजाता होटल्स को नियमों के खिलाफ टेंडर दिलवाया और बदले में परिवार को पटना में तीन एकड़ जमीन मिली। जांच रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि 94 करोड़ रुपये की जमीन महज 65 लाख रुपये में ट्रांसफर की गई थी।
कोर्ट ने इस घोटाले में लालू परिवार के अलावा सुजाता होटल्स के मालिक विनय और विजय कोचर, IRCTC के पूर्व एमडी पीके गोयल और आरजेडी सांसद प्रेमचंद गुप्ता को भी आरोपी बनाया है। इस मामले में 7 जुलाई 2007 को FIR दर्ज की गई थी। सुनवाई के दौरान जब लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी को अपना पक्ष रखने का मौका मिला तो दोनों ने खुद को निर्दोष बताया और कहा कि वे अपने ट्रायल का सामना करेंगे।
दिल्ली राउज एवेन्यू कोर्ट से बाहर निकलते हुए लालू यादव व्हीलचेयर पर बैठे काफी मायूस और परेशान दिखे। उनकी पत्नी राबड़ी देवी उनके पीछे थीं, जबकि पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय यादव आगे आगे चल रहे थे। लालू यादव के चेहरे के हावभाव से उनकी चिंता साफ दिख रही थी।

यह फैसला बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के ठीक पहले आया है, जिसकी वजह से बिहार की राजनीति में नया सियासी तूफान उठ गया है। तेजस्वी यादव ने आरोपों को राजनीतिक साजिश करार देते हुए कहा कि वे इस मामले में लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि चुनाव के पास आने के साथ ऐसे मामले सामने आते आए हैं और बिहार की जनता समझदार है। तेजस्वी ने जोर देकर कहा कि उनके पिता ने रेलवे को अनेक बजटों में किराया घटाकर और 90 हजार करोड़ रुपये का मुनाफा दिलाकर ऐतिहासिक रेल मंत्री का काम किया, लेकिन अब उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। तेजस्वी ने भाजपा के खिलाफ लड़ाई जारी रखने का संकल्प भी दोहराया।
इस बीच, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के दलों ने लालू परिवार पर जमकर निशाना साधा है। बिहार जनता दल (जदयू) के प्रवक्ता ने कहा कि लालू परिवार पर लगाए गए आरोप दुखद लेकिन स्वाभाविक हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि परिवार में nepotism और भ्रष्टाचार हुआ है, और न्याय हुआ है। उन्होंने तेजस्वी यादव से सवाल भी पूछा कि यदि उनके नाम पर संपत्ति थी तो उसे सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया।
कोर्ट के आदेश ने बिहार की सियासत में भयंकर उथल-पुथल मचा दी है। यह फैसला न केवल लालू परिवार की राजनीतिक छवि पर बड़ा असर डाल सकता है बल्कि आगामी चुनावों में यह मुद्दा राजनीतिक दलों के बीच जोरदार बहस का विषय बन सकता है। इस मामले में अब मुकदमा चलेगा और आगे की कानूनी प्रक्रिया से राज्य की राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ने की संभावना है।
