डॉ. शिवरांजनी संतोष की 8 सालों की जंग ने भारत में बच्चों और मरीजों को शर्करा युक्त झूठे ‘ORS’ पेयों से बचाने हेतु एक बड़ा फैसले को जन्म दिया है। हैदराबाद की इस बहादुर बाल रोग विशेषज्ञ ने उन पेयों के खिलाफ कड़ी लड़ाई लड़ी, जिनके लेबल पर ‘ORS’ लिखा जाता था, लेकिन वे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों के अनुरूप नहीं थे।
उनकी लगातार मेहनत से खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने एक ऐतिहासिक आदेश जारी किया है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि किसी भी उत्पाद पर ‘ORS’ शब्द तभी इस्तेमाल किया जाएगा जब उसका फॉर्मूला WHO द्वारा अनुशंसित फॉर्मूले के अनुरूप होगा। इसके तहत सभी खाद्य ब्रांडों को गैर-स्वीकृत ‘ORS’ सूचक नामों का प्रयोग बंद करना होगा।
डॉ. संतोष के मुताबिक, बाजार में उपलब्ध ये पेय WHO की तुलना में दस गुना अधिक शर्करा युक्त थे, जो दस्त के इलाज में हानि पहुंचाते थे और लाखों बच्चों में जटिलताएं पैदा करते थे। उनका यह अभियान सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण था, क्योंकि दस्त जैसी समस्याओं में सही और सुरक्षित हाइड्रेशन महत्वपूर्ण होता है।
डॉ. शिवरांजनी ने अपनी इस जीत को सोशल मीडिया पर साझा करते हुए कहा, “हमने जीत हासिल की है! आज से कोई भी उत्पाद बिना WHO के अनुशंसित फॉर्मूले के ‘ORS’ नहीं लिख सकता और बेच भी नहीं सकता।” उन्होंने इस लड़ाई में उनके साथ खड़े हर डॉक्टर, अभिभावक, कार्यकर्ता और नागरिक को धन्यवाद दिया।

यह आदेश फूड सेफ्टी नियमों को मजबूत करने के साथ ही झूठे विज्ञापनों द्वारा होने वाली भ्रांति को दूर करता है। इससे न केवल बच्चों को सुरक्षित पेय पदार्थ मिलेंगे, बल्कि मरीजों को भी सही और प्रभावी राहत मिलेगी।
डॉ. संतोष ने आगे कहा कि दस्त के कारण होने वाली मृत्यु को अक्सर सिर्फ “दस्त और निर्जलीकरण” कहा जाता है, जबकि असल वजह शर्करा युक्त गलत पेय हो सकते हैं। उन्होंने अन्य चिकित्सकों से आग्रह किया है कि वे दस्त से मरने वाले बच्चों में दिया गया पेय का रिकॉर्ड रखें और जानकारी साझा करें।
इस जीत से यह स्पष्ट होता है कि सतत अभियान, सही कानूनी लड़ाई और सामाजिक समर्थन मिलकर स्वास्थ्य सुरक्षा में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। यह फैसला बच्चों के जीवन की रक्षा करता है और उत्पादों के सही लेबलिंग की दिशा में एक बहुत बड़ी सफलता है।
डॉ. शिवरांजनी संतोष की कहानी यह भी सिखाती है कि एक व्यक्ति का समर्पण और हिम्मत समाज के लिए कितनी बड़ी जीत ला सकता है। यह जीत स्वास्थ्य जागरूकता, पारदर्शिता और नैतिकता के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगी।
