बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच मुजफ्फरपुर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ गई है। टिकट बंटवारे को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में गहरा असंतोष देखने को मिल रहा है। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि नामांकन सभा में पहुंचे भाजपा सांसद मनोज तिवारी को भी विरोध झेलना पड़ा। मंच पर भाषण देने से पहले ही पार्टी कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी शुरू कर दी और औराई सीट से उम्मीदवार बदलने की मांग उठाई।
उत्तर पूर्वी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी गुरुवार को एनडीए प्रत्याशियों की नामांकन सभा में शामिल होने मुजफ्फरपुर क्लब पहुंचे थे। जैसे ही उन्होंने माइक संभाला, भीड़ में से आवाजें उठने लगीं — “औराई प्रत्याशी वापस लो!” इस दौरान भाजपा जिलाध्यक्ष विवेक कुमार ने माहौल शांत करने की कोशिश की, लेकिन विरोध जारी रहा।
मनोज तिवारी बोले — मर्यादा में करें विरोध
लगातार हो रही नारेबाजी के बीच मनोज तिवारी ने मंच से कहा कि लोकतंत्र में विरोध होना स्वाभाविक है, लेकिन उसे मर्यादा में रहकर किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “अगर सभा में अव्यवस्था फैलाई जाएगी, तो दूसरा रास्ता अपनाना पड़ेगा। आपकी बात जहां पहुंचनी चाहिए, वहां पहुंच गई है।” उनके इस बयान के बाद माहौल कुछ शांत हुआ। उन्होंने माहौल को हल्का करने के लिए कुछ गीत भी गाए और कहा कि “बिहार वर्षों बाद संवरा है, हमें इसे एकजुट रहकर संवारे रखना होगा।”
हालांकि, सभा समाप्त होने के बाद भी कुछ नाराज कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी करते हुए मनोज तिवारी को घेरने की कोशिश की। पुलिस और स्थानीय नेताओं के हस्तक्षेप से स्थिति नियंत्रण में आई।

रामसूरत राय के समर्थक नाराज़
मुजफ्फरपुर में विवाद की जड़ रामसूरत राय का टिकट कटना बताया जा रहा है। पार्टी द्वारा नए उम्मीदवार की घोषणा के बाद से ही उनके समर्थकों में नाराजगी है। कई स्थानों पर पोस्टर और नारेबाजी के जरिए विरोध दर्ज कराया जा रहा है। देर रात खबर आई कि पटना लौटने के बाद रामसूरत राय के तेवर कुछ नरम हुए हैं। उन्होंने कहा कि “एक भाई की चीज दूसरे भाई को दी गई है”, हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विरोध की भावना अब भी बनी हुई है।
अशोक कुमार सिंह ने दिखाए बागी तेवर
भाजपा के भीतर असंतोष का एक और बड़ा उदाहरण पारू विधानसभा सीट पर देखने को मिला। यहां से चार बार भाजपा विधायक रहे अशोक कुमार सिंह ने पार्टी के निर्णय के खिलाफ बगावत का झंडा उठा लिया है। उन्होंने शुक्रवार को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल करने की घोषणा की है। समर्थकों की बैठक के बाद उन्होंने कहा कि “पार्टी ने वर्षों की मेहनत को नज़रअंदाज़ किया है, अब जनता फैसला करेगी।”
भाजपा के लिए मुश्किलें बढ़ीं
मुजफ्फरपुर में जो घटनाक्रम सामने आया है, उसने भाजपा की रणनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक ओर गठबंधन मजबूत करने की कोशिशें जारी हैं, वहीं अंदरूनी असंतोष पार्टी की एकजुटता पर असर डाल रहा है।
बिहार की सियासत में मुजफ्फरपुर को हमेशा से राजनीतिक रूप से अहम माना जाता है। ऐसे में यहां की उठापटक न सिर्फ स्थानीय उम्मीदवारों बल्कि पूरे चुनावी समीकरण पर असर डाल सकती है।
