पटना।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले महागठबंधन (RJD, कांग्रेस, वामदल, वीआईपी आदि) के भीतर असंतोष अब खुलकर सामने आ गया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के गठबंधन से अलग होने के बाद अब कांग्रेस ने भी अपना स्टैंड बेहद स्पष्ट कर दिया है। पार्टी ने लालू यादव को दो टूक संदेश दिया है — “या तो हमारी सीटों से अपने उम्मीदवार वापस लें, या फिर मुकाबला हमारे खिलाफ करें।”
इस बयान ने महागठबंधन के भीतर जारी सीट बंटवारे के विवाद को और गहरा कर दिया है। कांग्रेस और राजद, जो अब तक बीजेपी के खिलाफ एकजुटता का दावा करते रहे थे, अब आमने-सामने की लड़ाई के मोड में दिखाई दे रहे हैं।
कुटुम्बा सीट बनी टकराव की वजह
इस समय विवाद का सबसे बड़ा केंद्र बना है कुटुम्बा विधानसभा क्षेत्र, जो पिछले चुनाव में कांग्रेस के खाते में गई थी। इस सीट से कांग्रेस के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने जीत दर्ज की थी। लेकिन इस बार राजद ने कांग्रेस के खिलाफ इसी सीट पर अपना उम्मीदवार उतार दिया है।
कांग्रेस ने इसे “असहयोग और गठबंधन की मर्यादा का उल्लंघन” बताया है। पार्टी का कहना है कि राजद की इस हरकत से सहयोग की भावना पर गहरा आघात पहुंचा है।
कांग्रेस नेताओं ने यह भी साफ कर दिया है कि वे किसी भी कीमत पर कुटुम्बा सीट छोड़ने को तैयार नहीं हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा — “अगर गठबंधन में भरोसा बचा है, तो राजद को अपने उम्मीदवार वापस लेने चाहिए। अगर वे नहीं मानते, तो कांग्रेस भी अब किसी दबाव में नहीं आएगी।”

कांग्रेस ने आरजेडी के पाले में डाली गेंद
राजनीतिक गलियारों में यह माना जा रहा है कि कांग्रेस ने अब पूरी तरह से गेंद आरजेडी के पाले में डाल दी है। कांग्रेस ने यह साफ संकेत दे दिया है कि वह अब किसी “सीट बंटवारे के नए प्रस्ताव” पर चर्चा नहीं करेगी।
पार्टी का कहना है कि जब गठबंधन की रूपरेखा पहले ही तय की गई थी, तो अब राजद को इस तरह की मनमानी करने का कोई अधिकार नहीं है।
बिहार कांग्रेस के एक नेता ने कहा — “हम गठबंधन के सिद्धांतों में विश्वास करते हैं, लेकिन आत्मसमर्पण नहीं करेंगे। अगर राजद ने अपने उम्मीदवार वापस नहीं लिए, तो कांग्रेस हर उस सीट पर मुकाबला करेगी जहां हमारी स्थिति मजबूत है।”
महागठबंधन में बढ़ता असंतोष
महागठबंधन में दरार की यह कहानी नई नहीं है। पिछले कुछ महीनों से कांग्रेस और राजद के बीच सीटों को लेकर खींचतान जारी है। झामुमो पहले ही गठबंधन से अलग हो चुका है, और अब कांग्रेस का यह सख्त रुख महागठबंधन की एकता पर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है।
एनडीए के नेताओं ने इस स्थिति पर तंज कसना शुरू कर दिया है। भाजपा नेताओं ने कहा है कि “महागठबंधन अब नाम का ही रह गया है, उनके पास न नेता तय है, न सीटें।”
बिहार चुनाव 2025 का रण अब सिर्फ एनडीए बनाम महागठबंधन नहीं रहा, बल्कि महागठबंधन के अंदर भी एक नई जंग शुरू हो चुकी है। कांग्रेस के सख्त रुख ने लालू यादव और तेजस्वी यादव को मुश्किल स्थिति में ला दिया है।
अब देखना यह होगा कि क्या आरजेडी अपने उम्मीदवारों को वापस लेकर मतभेद सुलझाने की कोशिश करती है, या फिर बिहार की राजनीति एक और “तीखी तकरार” की गवाह बनती है।
एक बात साफ है — महागठबंधन की एकता अब परखे जाने के सबसे कठिन दौर में है।
