बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में मोहनिया (SC) सीट से एक बड़ा विवाद सामने आया है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की प्रत्याशी स्वेता सुमन पर नामांकन में अनियमितता के आरोप लगे हैं। भाजपा ने उनके खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए नामांकन रद्द करने की मांग की है।
भाजपा के न्यायिक एवं चुनाव आयोग संपर्क विभाग के प्रमुख विंध्याचल राय ने दावा किया है कि स्वेता सुमन मूल रूप से उत्तर प्रदेश की निवासी हैं और उन्होंने वहीं का जाति प्रमाणपत्र लगाकर बिहार की अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट से नामांकन दाखिल किया है। प्रेस वार्ता में राय ने कहा कि यह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम का उल्लंघन है, क्योंकि आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार का उसी राज्य की अनुसूचित जाति से होना अनिवार्य है।
2020 में भी किया था नामांकन
भाजपा नेता ने याद दिलाया कि स्वेता सुमन ने वर्ष 2020 में भी मोहनिया (SC) से नामांकन किया था, जिसमें उन्होंने खुद को ‘चमाड़ जाति’ से बताया था — जो कि उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति में शामिल है, लेकिन बिहार में नहीं। उन्होंने यह भी बताया कि स्वेता सुमन का स्थायी निवास उत्तर प्रदेश में है और उनके पति का नाम विनोद राम है।

भाजपा की मांग: नामांकन रद्द हो
भाजपा ने चुनाव आयोग से स्पष्ट रूप से मांग की है कि स्वेता सुमन का नामांकन पत्र रद्द किया जाए, क्योंकि दूसरे राज्य का जाति प्रमाणपत्र बिहार की आरक्षित सीट पर मान्य नहीं है। विंध्याचल राय ने यह भी कहा कि भाजपा किसी भी दलित उम्मीदवार का हक मारे जाने नहीं देगी और यदि आवश्यक हुआ तो उनके पास अन्य वैकल्पिक कदम भी खुले हैं।
मुद्दे का महत्व
यह मामला न केवल कानूनी दृष्टिकोण से अहम है, बल्कि चुनावी रणनीति और जातिगत समीकरणों पर भी असर डाल सकता है। अगर स्वेता सुमन का नामांकन रद्द होता है, तो राजद को इस सीट पर नया उम्मीदवार खड़ा करना पड़ सकता है, जिससे महागठबंधन की रणनीति प्रभावित हो सकती है।
