by: Md atik
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच टिकट बंटवारे को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में बड़ा राजनीतिक भूचाल आ गया है। सीतामढ़ी की परिहार सीट से अपने जनाधार और मजबूत पकड़ के लिए मशहूर रितु जायसवाल का नाम जब टिकट सूची से गायब हुआ, तो पूरे क्षेत्र में हलचल मच गई। पार्टी ने यह टिकट आरजेडी के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रामचंद्र पूर्वे की बहू स्मिता पूर्वे को दे दिया। इससे नाराज महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष रितु जायसवाल फूट-फूटकर रो पड़ीं और तेजस्वी यादव से टिकट वापस लेने की भावुक अपील कर डाली ।
मंच पर भावनाओं का सैलाब
रविवार शाम रितु जायसवाल ने परिहार से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल करने के बाद डुमरा के विश्वनाथपुर में जनता को संबोधित किया। इस दौरान मंच पर उनके पति अरुण कुमार और बेटी भी मौजूद थे। समर्थकों की भीड़ के बीच रितु जायसवाल स्टेज पर रोती हुई नजर आईं और कहा, “मेरा प्राण परिहार में बसता है, मैं इसे नहीं छोड़ सकती। तेजस्वी यादव पर अभी भी भरोसा है, उनसे अपील है कि मेरा टिकट वापस किया जाए।” यह इमोशनल वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और पूरे बिहार की राजनीति में चर्चा का विषय बन गया ।

बगावत का ऐलान
राजद की टिकट नीति से असंतुष्ट रितु जायसवाल ने साफ कहा है कि वह परिहार की जनता को छोड़कर कहीं और जाने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा, “कल शाम जैसे ही यह चर्चा फैली कि मुझे बेलसंड भेजा जाएगा, परिहार की जनता के फोन और संदेश आने लगे — ‘मैडम, परिहार को मत छोड़िए।’” इसके बाद उन्होंने परिहार से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का निर्णय लिया ।
जनता से भावुक अपील
रितु जायसवाल ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में उन्होंने परिहार के हर सुख-दुख में हिस्सा लिया है, और यह क्षेत्र उनके जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है। उन्होंने परिहार की बदहाली के लिए न सिर्फ मौजूदा बीजेपी विधायक गायत्री देवी बल्कि आरजेडी के पूर्व विधायक रामचंद्र पूर्वे पर भी गंभीर आरोप लगाए कि उन्होंने पार्टी हितों की अनदेखी की और जनता को उपेक्षित किया ।
राजनीतिक असर
विश्लेषकों का मानना है कि रितु जायसवाल की यह बगावत आरजेडी के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है। महिलाओं, युवाओं और स्थानीय समुदायों में उनकी लोकप्रियता इतनी है कि निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में भी वे मुकाबले को त्रिकोणीय बना सकती हैं। तेजस्वी यादव फिलहाल स्थिति को संभालने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन परिहार से यह बगावत महागठबंधन के लिए सिरदर्द बन गई है ।
रितु जायसवाल का यह इमोशनल ब्रेकडाउन न केवल एक व्यक्तिगत प्रतिक्रिया थी, बल्कि बिहार की उस राजनीति का प्रतीक बन गया है, जहां जनता के दिल से जुड़े नेता भी सत्ता समीकरणों की बलि चढ़ जाते हैं।
