by: md atik
कैमूर जिले की मोहनिया विधानसभा सीट से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को चुनाव से पहले ही बड़ा झटका लगा है। मोहनिया से आरजेडी की प्रत्याशी श्वेता सुमन का नामांकन पर्चा निर्वाचन आयोग ने रद्द कर दिया है। इस फैसले के बाद इलाके में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है और कई सवाल उठने लगे हैं। RJD समेत महागठबंधन के लिए यह घटना न सिर्फ रणनीतिक दृष्टि से बल्कि मनोबल के लिहाज से भी बड़ा आघात साबित हो रही है।
क्या है पूरा मामला?
श्वेता सुमन ने मोहनिया से RJD प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल किया था। जांच के दौरान आयोग ने उनके दस्तावेजों में गंभीर गड़बड़ी पाई। आरोप है कि श्वेता सुमन ने 2020 के चुनाव में उत्तर प्रदेश के चंदौली का पता दिया था, जबकि इस बार उन्होंने बिहार का पता प्रस्तुत कर नामांकन भरा। इसी वजह से उनके दस्तावेजों को सही नहीं माना गया और उनका नामांकन रद्द कर दिया गया।

प्रमुख पार्टियों की प्रतिक्रियाएं
BJP ने आयोग से इस मुद्दे की शिकायत की थी। उनका कहना था कि दस्तावेज़ों में गड़बड़ी और पते के मामले में प्रत्याशी ने गलत जानकारी दी है। भाजपा के चुनाव प्रबंधन से जुड़े नेताओं ने चुनाव आयोग के फैसले का स्वागत किया और इसे निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया के लिए जरूरी कदम बताया। वहीं, RJD और श्वेता सुमन ने निर्वाचन आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। श्वेता सुमन ने कहा कि उनका नामांकन “राजनीतिक दबाव” में रद्द किया गया है और ये पूरी प्रक्रिया पक्षपाती रही।
चुनावी समीकरणों पर असर
श्वेता सुमन का नामांकन रद्द होने से मोहनिया सीट पर RJD को बड़ी रणनीतिक चोट लगी है। महागठबंधन ने इस फैसले को “लोकतंत्र की हत्या” करार दिया है और इसे भाजपा का षड्यंत्र बताया है। मोहनिया क्षेत्र में अब मैदान पूरी तरह बदल गया है और स्थानीय समीकरणों में भी हलचल देखी जा रही है। विपक्षी दल इसे जनता के सामने आंदोलन का बड़ा मुद्दा बना रहे हैं।
स्थानीय माहौल व अगला कदम
मामले के तूल पकड़ने के बाद समर्थकों में भी नाराजगी देखने को मिली है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस घटनाक्रम से क्षेत्रीय चुनावी गणित प्रभावित होगा। RJD इस मुद्दे को लेकर कानूनी स्तर पर चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने का विकल्प भी तलाश रही है।
