बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बुधवार को पटना के पोलो रोड स्थित अपने आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दो बड़ी घोषणाएं कीं। उन्होंने दावा किया कि राज्य की जनता अब बदलाव का मन बना चुकी है। गरीबी, महंगाई और बेरोजगारी से परेशान लोग अब नई दिशा चाहते हैं, और महागठबंधन की सरकार बनते ही उनके लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।
तेजस्वी यादव ने इस मौके पर जीविका दीदियों और संविदा कर्मियों के लिए कई अहम घोषणाएं कीं, जिन्हें उन्होंने अपने आगामी चुनावी घोषणापत्र की झलक बताया। उन्होंने कहा, “हम जो कहते हैं, वो करते हैं। 2020 के चुनाव में हमने जो वादे किए थे, उन्हें हमारे 17 महीने के कार्यकाल में पूरा कर दिखाया। अब बिहार के विकास और सम्मान की नई यात्रा शुरू होगी।”
जीविका दीदियों को मिलेगा सरकारी दर्जा और 30 हजार वेतन
तेजस्वी यादव ने कहा कि राज्य में लाखों जीविका दीदियों के साथ वर्षों से अन्याय और शोषण होता आया है। वे ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, लेकिन उन्हें आज तक उचित मान-सम्मान और वेतन नहीं मिला। उन्होंने घोषणा की कि महागठबंधन की सरकार बनते ही सभी जीविका दीदियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाएगा।
उनका शुरुआती वेतन 30,000 रुपये प्रतिमाह होगा। इसके साथ ही, उन्हें अतिरिक्त कार्यों के लिए 2,000 रुपये प्रति माह भत्ता भी मिलेगा। तेजस्वी ने यह भी कहा कि जिन जीविका दीदियों ने ऋण लिया है, उनका ब्याज माफ किया जाएगा। आगे उन्हें दो वर्षों तक ब्याज-मुक्त ऋण की सुविधा भी दी जाएगी, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक जीविका दीदी के लिए 5 लाख रुपये तक का बीमा कवरेज भी उपलब्ध कराया जाएगा।

तेजस्वी यादव ने कहा, “नीतीश सरकार ने हमारे कई जनकल्याणकारी योजनाओं की नकल की, लेकिन उन्हें सही ढंग से लागू नहीं किया। हमारी सरकार बनते ही जीविका दीदियों को उनका हक और सम्मान दोनों मिलेगा।”
संविदा कर्मियों के लिए स्थायित्व की घोषणा
प्रेस वार्ता के दौरान तेजस्वी यादव ने बिहार में कार्यरत लाखों संविदा कर्मियों के लिए भी राहत भरी घोषणा की। उन्होंने कहा कि उर्मिला और बेल्ट्रॉन जैसे माध्यमों से सरकार वर्तमान में दो लाख से अधिक संविदाकर्मियों से काम ले रही है, लेकिन उन्हें स्थायी नहीं किया जा रहा।
महागठबंधन की सरकार बनने पर, राज्य में कार्यरत सभी संविदाकर्मियों को स्थायी किया जाएगा। उन्होंने कहा, “संविदाकर्मी मानसिक, शारीरिक और आर्थिक तनाव में रहते हैं। उनका वेतन कमीशनखोरी और जीएसटी की कटौती में चला जाता है। सरकार जब 18% जीएसटी काटकर वेतन दे सकती है, तो उन्हें स्थायी नौकरी क्यों नहीं दे सकती?”
तेजस्वी यादव ने कहा कि संविदाकर्मियों का स्थायीकरण न केवल रोजगार सुरक्षा देगा, बल्कि राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था को भी सुदृढ़ करेगा।
जनता से सीधा वादा
तेजस्वी की ये घोषणाएं चुनावी माहौल में बड़ा राजनीतिक संदेश देती हैं — खासकर महिलाओं और युवाओं के बीच, जो बिहार की राजनीति का निर्णायक वर्ग माने जाते हैं।
