पटना-सिटी के श्री गुरु गोविंद सिंह सदर अस्पताल परिसर में एक सौ बेड की क्षमता वाला चार-मंजिला नवनिर्मित अस्पताल भवन तैयार होने के बावजूद अब तक मरीजों को प्रयोग के लिए सौंपा नहीं गया है। उद्घाटन हो चुका है, लेकिन पुराना एवं नया भवन जोड़ने वाला फुट-ओवरब्रिज अधूरा है, जिसके कारण सुविधा अभी तक बहाल नहीं हो पाई है।

नए भवन का शिलान्यास 31 मई 2023 को हुआ था। निर्माण का काम लगभग 30.56–35 करोड़ रुपये की लागत से 8,430 वर्गमीटर क्षेत्र में किया गया था। इसके अंतर्गत CT Scan, MRI, Ultrasound सहित अन्य आधुनिक जांच सुविधाएं होने की बात कही गई थी।
समस्या क्या है?
हालाँकि भवन निर्माण लगभग पूरा है, लेकिन अस्पताल के पुराने भवन से नए भवन को जोड़ने हेतु फुट-ओवरब्रिज के ड्रॉइंग को तकनीकी स्वीकृति हेतु भेजा गया है और स्वीकृति मिलते ही निर्माण कार्य शुरू होगा। इस बीच मरीजों को नये भवन में भर्ती नहीं किया जा पा रहा है, अस्पताल प्रशासन को यह नया ब्लॉक अभी सौंपा नहीं गया है। साथ ही, पुराने और नए भवन में सुरक्षा व्यवस्था ठीक न होने के कारण सामान चोरी की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिसे अस्पताल प्रशासन ने स्वीकार किया है।
भवन की विशिष्टता
- ग्राउंड फ्लोर पर 13 बेड की आपातस्थिति इकाई (Emergency) होगी।
- पहली मंजिल पर स्त्री एवं प्रसूति तथा शिशु रोग विभाग के लिए 23 बेड + 5 अतिरिक्त बेड की व्यवस्था है।
- दूसरी मंजिल पर मदर एंड चाइल्ड विभाग (17 बेड) एवं क्रिटिकल केयर जोन (12 बेड) योजना में हैं।
- तीसरी मंजिल पर सर्जरी, औषधि, हड्डी रोग आदि के लिए 29 + 24 बेड की व्यवस्था; चौथी मंजिल पर प्राइवेट रूम एवं आयुष-पंचकर्म विभाग के लिए 10 बेड आरक्षित हैं।
- भवन में तीन लिफ्ट व सुरक्षित पार्किंग की योजना है।
- परिसर को ‘ग्रीन जोन’ एवं सोलर सिस्टम से रोशन किए जाने की योजना भी है।
मरीजों व नगरवासियों के लिए क्या मायने रखता है?
पटना साहिब और आसपास के इलाक़ों के लिए यह अस्पताल एक बड़ी उम्मीद थी क्योंकि मौजूदा सदर अस्पताल में बेड-संख्या, आधुनिक जांच सुविधाएँ व विभागीय विभाजन सीमित था। नया भवन चालू होने से लगभग दो सौ बेड तक क्षमता बढ़ने की संभावना है जिससे मरीजों को बेहतर सुविधाएँ मिलेंगी। लेकिन फुट-ओवरब्रिज के अधूरे होने से भवन का संचालन शुरू नहीं हो पा रहा है, जिससे मरीज उस सुविधा के लाभ से अभी वंचित हैं। सुरक्षा की कमियाँ व देर से चालू होना ऐसे संकेत हैं जो अस्पताल उपयोगिता में देरी का कारण बने हुए हैं।
