by: md atik
राजनीतिक गलियारों में इन दिनों एक बयान खूब चर्चा में है जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि भाजपा की सरकार 40-50 साल तक देश में सत्ता में बनी रह सकती है। इस बयान ने विपक्ष में तीव्र प्रतिक्रियाएं और सवाल खड़े कर दिए हैं। खासकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस दावे पर कटु टिप्पणी करते हुए पूछा कि अमित शाह को ऐसा कैसे पता? उन्होंने भाजपा पर चुनावों में मतदाता धोखाधड़ी यानी वोट चोरी के गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यही वजह है कि भाजपा इतनी लंबी अवधि तक सत्ता में बनी रह सकती है।
अमित शाह के इस बयान ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। भाजपा समर्थक इसे देश के लिए एक सकारात्मक संदेश मानते हैं, जिसमें उन्होंने देश में विकास और स्थिरता बनाए रखने की योजना को दर्शाया है। वहीं, विपक्षी दल इसे लोकतंत्र की गंभीर चुनौती के रूप में देख रहे हैं। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार चुनावों में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा नहीं कराती, बल्कि अनैतिक और गैरकानूनी तरीकों से अपने शासन को बरकरार रखती है। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा की जीत के पीछे वोट चोरी का बड़ा हाथ है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों को चोट पहुंचाता है।
विरोधी दलों द्वारा भाजपा पर लगाए गए इस वोट चोरी के आरोपों का राजनीतिक महत्व भी काफी लंबा है। महाराष्ट्र, हरियाणा, मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों में हुए हालिया चुनावों को लेकर विपक्ष ने इस तरह के आरोप दिये हैं कि भाजपा के कुछ समर्थक और स्थानीय प्रशासन योजित ढंग से वोटरों को प्रभावित करते हैं। इन आरोपों के कारण चुनाव आयोग पर भी सवाल उठे हैं और इसे लेकर मीडिया में खूब बहस हुई है। विपक्ष के अनुसार, वोट चोरी करके भाजपा सरकारें लंबे समय तक सत्ता में टिक पाती हैं, इसलिए अमित शाह का 40-50 साल तक सत्ता में रहने का दावा वास्तविक तथ्यों पर आधारित नहीं बल्कि एक राजनीतिक दंभ है।
वहीं भाजपा के तरफ से कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है, पर उनके समर्थक इसे पार्टी की लोकप्रियता, सुशासन और विकास की उपलब्धियों का प्रमाण बताते हैं। उनका कहना है कि भाजपा देश और बिहार में विकास के कार्यों को जारी रखेगी और जनता का समर्थन बनाए रखेगी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल ने कहा कि भाजपा को जनता का समर्थन लगातार बढ़ रहा है और विकास कार्यों के चलते इस सरकार का सफर लंबा रहेगा।
इस पूरे विवाद ने बिहार विधानसभा चुनाव जैसे महत्त्वपूर्ण अवसर पर राजनीतिक कवायदों को तेज कर दिया है। जहां भाजपा अपने समर्थन को लेकर आश्वस्त है, वहीं विपक्ष लगातार इसे चुनौती दे रहा है। जनता के बीच भी इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप चर्चा का विषय बने हुए हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लोकतांत्रिक देशों में आवासीय परिवर्तन और मतदाता जागरूकता से चुनाव परिणामों में बदलाव आता रहता है इसलिए 40-50 साल का शासन दावा बेहद दांवपेंच भरा और विवादास्पद बयान है। इसके बावजूद यह बयान भाजपा के पक्ष में बड़ी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है, जिसमें पार्टी अपनी ताकत और लोकप्रियता को दिखाने का प्रयास कर रही है। विपक्ष को भी यह मौका मिला है कि वे भाजपा के मतदाताओं में असंतोष पैदा करें और चुनावी माहौल को अपने पक्ष में मोड़ें।
इस प्रकार, अमित शाह के 40-50 साल तक सरकार चलाने के दावे ने बिहार समेत देशभर की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। यह बयान न केवल राजनीतिक नेताओं के बीच गरमागरम बहस का विषय बना है, बल्कि आम लोगों के बीच भी सरकारों की विश्वसनीयता और चुनावी ईमानदारी पर संशय पैदा कर रहा है। आगामी विधानसभा चुनाव में इसका प्रभाव कैसा पड़ेगा, यह समय ही बताएगा।
