by: md atik
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने बिहार में चल रही ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के दौरान भाजपा पर मतदाता सूची से लोगों के नाम काटने की साजिश रचने का आरोप लगाया है। उन्होंने इसे आतंकवाद से भी बदतर बताया है। स्टालिन ने कहा कि बिहार की ड्राफ्ट मतदाता सूची से 65 लाख से अधिक लोगों के नाम हटाए गए हैं, जो लोकतंत्र के लिए घातक है। वे इस यात्रा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव के साथ शामिल हुए थे।
स्टालिन ने मुजफ्फरपुर में आयोजित चुनावी सभा में तमिल भाषा में भाषण दिया, जिसका हिंदी में अनुवाद हुआ। उन्होंने कहा कि बिहार का जिक्र आते ही भारतीय राजनीति के मजबूत चेहरे लालू प्रसाद यादव और उनके संघर्ष का ध्यान आता है। स्टालिन ने भाजपा पर कठोर टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्होंने चुनाव आयोग को ‘कठपुतली’ बना दिया है और यह चुनाव प्रक्रिया के प्रति जनता का विश्वास खत्म कर रहा है।
राहुल गांधी ने भी भाजपा पर बार-बार वोट चोरी का आरोप लगाया है और स्टालिन ने इस आरोपों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि यदि चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र हुआ तो भाजपा गठबंधन को हार का सामना करना पड़ेगा। इसके बाद भाजपा नेताओं और समर्थकों ने स्टालिन और अन्य विपक्षी नेताओं के पुतले जलाकर विरोध प्रदर्शन किया।
बिहार में इस समय मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर राजनीति गरमाई हुई है। विपक्ष का मानना है कि इस प्रक्रिया का इस्तेमाल भाजपा मतदाताओं के नाम हटाने के लिए कर रही है ताकि वे चुनाव जीत सकें। स्टालिन ने लोकतंत्र के लिए इसे गंभीर खतरा बताया और कहा कि यह एक ऐसा हमला है जो जवाबदेही और जनता की आवाज़ को दबाने की कोशिश करता है।
इस पूरे विवाद ने बिहार विधानसभा चुनाव के संदर्भ में राजनीतिक माहौल को काफी तनावपूर्ण कर दिया है, जहां विपक्ष भाजपा की नीतियों और चुनावी रणनीतियों पर सवाल उठा रहा है। बिहार में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के माध्यम से विपक्षी दल मतदाता जागरूकता बढ़ा रहे हैं और प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता की मांग कर रहे हैं।
इस प्रकार, एम के स्टालिन का भाजपा पर मतदाता सूची से नाम काटने का आरोप न केवल बिहार की राजनीति में बड़ा मोड़ ला रहा है, बल्कि तमिलनाडु जैसे दक्षिणी राज्य से भी इस मुद्दे पर समर्थन मिल रहा है। यह मामला आगामी विधानसभा चुनावों की दिशा और परिणामों पर प्रभाव डाल सकता है।
